शास्त्रों के अनुसार ललिता पंचमी का दिन शुभ बताया गया है इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना की जाये तो यह विभिन्न प्रकार के रोग और दोष को नष्ट कर देता है।
ललिता पंचमी: सनातन धर्म में सभी व्रत और तीज, त्यौहार की अपनी एक अलग ही फलदायक खासियत होती है। पंचांग के अनुसार आज अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ललिता पंचमी का विधि विधान से व्रत रखा जाएगा। इसे उपांग पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन माता स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। इसी के साथ आज के दिन ही दस महाविद्याओं में से एक मां ललिता की विधि विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार देवी ललिता की आराधना हर तरह के रोग और दोष से मुक्ति दिलाती हैं। देवी पुराण में भी इनकी महिमा का संक्षिप्त में वर्णन किया गया है। आइये जानते हैं मुहूर्त और तिथि।
ललिता पंचमी मुहूर्त 2023
पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 अक्टूबर 2023 को सुबह 1 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी।
पूजा का मुहूर्त – सुबह 6.24 से सुबह 07.49 तक
सुबह 10:40 से दोपहर 12:06 तक
ललिता पंचमी पूजा विधि:
मां ललिता को प्रसन्न करने के लिए इस तरह करें पूजा: ललिता पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठे, मंदिर में साफ़ सफाई करे. सर्व प्रथम पूजा के स्थान पर साफ़ सफाई करे व पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र कर ले। मुहूर्त के अनुसार एक चौकी लें और उसको गंगाजल से साफ करने के बाद स्वयं उत्तर दिशा की और बैठ जाएं। उसके बाद चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर चौकी के ऊपर मां ललिता की तस्वीर को स्थापित कर लें। अगर मां की तस्वीर नहीं है तो आप श्री यंत्र को भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद ललिता पंचमी व्रत का संकल्प लें और फिर भगवान गणेश, मां पार्वती, श्रीहरि, सूर्यदेव और भोलेनाथ की पूजा करें। इसके बाद मां ललिता को अक्षत, फल, फूल और दूध से बनी कोई भी मिठाई अर्पित करें। भोग लगाने के बाद इस मंत्र का 21 या 31 बार जाप करें:
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
इसके बाद देवी ललिता की कथा सुनें या पढ़ें।
अंत में 9 छोटी कन्याओं के पैर धोये और कन्याओं को भोजन करवाकर पूजा का समापन कर दें। अगर ऐसा करने में असमर्थ हैं तो प्रसाद