क्या आप जानते है गणेश जी के अवतार और उनसे जुड़ी ये मुख्य बातें ? मोहासुर को मारने के लिए गणेश जी ने लिया था महोदर अवतार, वक्रतुंड ने किया था मत्सरासुर का अंत
आप सभी को ज्ञात है अभी गणेश उत्सव चल रहा है और ये महोत्सव 28 सितंबर तक रहेगा। सभी देवताओं की तरह ही भगवान श्री गणेश जी ने भी अनेकों असुरों को खत्म करने के लिए कई अवतार लिए थे। जनिए गणेश जी के अवतार और उनसे जुड़ी खास बातें…
हिन्दू धर्म की एकमात्र विश्वसनीय प्रेस, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गणेश अंक में गणेश जी से जुड़ी कई कथाएं बताई गई हैं। इन कथाओं में गणेश जी के अवतार और राक्षसों के बारे में विस्तार से बताया गया है। गणेश जी ने अपने अवतारों के माध्यम से संदेश दिया है कि हमें लालच, मोह, नशा जैसी बुराइयों से बचना चाहिए।
इन अवतारों के रूप में आये गणेश भगवान
महोदर अवतार : पुराने समय में मोहासुर नाम का एक राक्षस था, एक समय ऐसा आया की उसने सभी देवताओं को पराजित कर दिया और स्वर्ग को अपने अधिकार में ले लिया था। सभी देवता गणेश जी के पास पहुंचे और तब गणेश जी ने महोदर रूप धारण किया था। महोदर अवतार यानी बड़े पेट वाले गणेश जी। महोदर भगवान ने मोहासुर को खत्म कर दिया था।
वक्रतुंड अवतार : भगवान श्री गणेश जी ने वक्रतुंड अवतार मत्सरासुर नाम के राक्षस को खत्म करने के लिए लिया था। मत्सरासुर शिव भक्त था और मत्सरासुर ने अपने पुत्र सुंदरप्रिय और विषयप्रिय के साथ मिलकर देवताओं को हरा दिया था। तब देवताओं की मदद के लिए गणेश जी ने वक्रतुंड अवतार लिया और मत्सरासुर का अंत किया था।
एकदंत अवतार : मद नाम का एक राक्षस था उसे खत्म करने के लिए गणेश जी ने एकंदत अवतार लिया था। मद यानी नशा, मद नाम की बुराई से बचना चाहिए और गणेश जी की भक्ति से ये बुराई जल्दी दूर हो सकती है।
विकट अवतार : विकट अवतार के रूप में गणेश जी ने कामासुर नाम के असुर का वध किया था। इस रूप में गणेश जी मोर पर विराजित हैं।
गजानन अवतार : इस अवतार में गणेश जी ने लोभासुर नाम के राक्षस को मारा था।
लंबोदर अवतार : क्रोधासुर नाम के राक्षस का वध करने के लिए गणेश जी ने लंबोदर रूप में अवतार लिया था। क्रोधासुर यानी गुस्सा।
विघ्नराज अवतार : ममासुर नाम के दैत्य को मारने के लिए गणेश जी ने विघ्नराज अवतार लिया था।
धूम्रवर्ण अवतार : अहंतासुर को मारने के लिए गणेश जी ने धूम्रवर्ण अवतार लिया था। इस स्वरूप में गणेश जी का रंग धुंए जैसा था, इसीलिए इनका नाम धूम्रवर्ण पड़ा। अहंतासुर यानी अहंकार, इसकी वजह से रावण, कंस और दुर्योधन जैसे शक्तिशाली लोगों का परिवार सहित नाश हो गया था।
हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।